
भोपाल : "राजन की गज़ले मोहब्बत का पाठ पढ़ाती हैं. आज के दौर में मुल्क में
और दुनिया में महब्बत की बहुत ज़रुरत है. राजन जितने अच्छे शायर हैं, उतने
ही अच्छे इन्सान भी है."- ये उद्गार व्यक्त किये वरिष्ठ गज़लकार श्री ज़हीर
कुरैशी ने, जो दुष्यंत कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय में आयोजित
लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता कर रहे थे. संग्रहालय में चित्रेन्द्र स्वरुप
राजन की पुस्तक 'दर्से मुहब्बत' का लोकार्पण किया गया.
कार्यक्रम के आरम्भ में रुश्दा जमील ने श्री राजन के व्यक्तित्व और कृतित्व
पर प्रकाश डाला. श्री बद्र वस्ति ने पुस्तक की चर्च करते हुए श्री राजन के
बारे में कहा कि मुहब्बत, इंसानियत और सादगी को मिलाने पर जो तस्वीत उभरती
है, वो राजन की है.
डॉ नुसरत मेहदी ने लिखित आलेख में राजन की शायरी पर लिखा कि उनकी शायरी
ज़ज्बात ओ एहसासात की शायरी है. इस तरह की शायरी वाही कर सकता है जिसे
इंसानी कद्रों की पासदारी करना आता हो.
इस अवसर पर श्री चित्रेंद्र स्वरुप राजन ने सभी के प्रति कृतज्ञता व्यक्त
करते हुए चुनिन्दा गज़लों का पाठ किया. संग्रहालय की और से निदेशक राजुरकर
राज, उपाध्यक्ष महेश सक्सेना और सहायक सचिव डॉ अरविंद सोनी ने श्री राजन का
अभिनंदन किया.
समारोह का सञ्चालन श्रीमती सुनीता सिंह ने किया.